गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'
सनेही जी का जन्म श्रावण शुक्ल 13, संवत् 1940 वि. तदनुसार 21 अगस्त, 1883 ई. को हुआ। इनका जन्म उत्तरप्रदेश के उन्नाव जिले के हडहा ग्राम में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा ग्राम पाठशाला में हुई। स्वाध्याय द्वारा हिंदी, उर्दू तथा फारसी का ज्ञान प्राप्त किया। सन् 1899 में सनेही जी अपने गांव से आठ मील दूर बरहर नामक गांव के प्राइमरी स्कूल के अध्यापक नियुक्त हुए। सन् 1921 में टाउन स्कूल की हेडमास्टरी से त्यागपत्र दे दिया और शिक्षण-कार्य की सरकारी नौकरी से मुक्ति पा ली। यह गांधीजी के आंदोलन का प्रभाव था जिससे प्रेरित और प्रभावित होकर सनेहीजी ने त्यागपत्र दिया था । इसी वर्ष श्रेष्ठ उपन्यासकार प्रेमचंद ने भी त्यागपत्र दे दिया था । आरंभ में सनेहीजी ब्रजभाषा में ही लिखते थे और रीति-परंपरा का अनुकरण करते थे। उस ज़माने की प्रसिद्ध काव्य-पत्रिकाओं में सनेहीजी की रचनाएं रसिक-रहस्य, साहित्य-सरोवर, रसिक-मित्र इत्यादि में छपने लगी थीं।
सनेहीजी ब्रजभाषा के अतिरिक्त हिन्दी में भी एक बड़े ही भावुक और सरसहृदय कवि थे। ये पुरानी और नई दोनों चाल की कविताएँ लिखते थे। प्रेम और शृंगार की कविताओं में इनका उपनाम 'सनेही' और पौराणिक तथा सामाजिक विषयों वाली कविताओं में 'त्रिशूल' है। इनकी उर्दू कविता भी बहुत ही अच्छी होती थीं। इनकी पुरानी ढंग की कविताएँ 'रसिकमित्र', 'काव्यसुधानिधि' और 'साहित्यसरोवर' आदि में बराबर निकलती रहीं। कालान्तर में इनकी प्रवृत्ति खड़ी बोली की ओर हुई। इस मैदान में भी इन्होंने अच्छी सफलता पाई।
इनके समय में कविता का एक 'सनेही स्कूल' ही प्रचलित हो गया था । सनेहीजी द्वारा रचित प्रमुख कृतियां हैं :- प्रेमपचीसी, गप्पाष्टक, कुसुमांजलि, कृषक-क्रन्दन, त्रिशूल तरंग, राष्ट्रीय मंत्र, संजीवनी, राष्ट्रीय वीणा (द्वितीय भाग), कलामे-त्रिशूल, करुणा-कादम्बिनी और सनेही रचनावली । आरंभ में सनेहीजी ब्रजभाषा में ही लिखते थे और रीति-परंपरा का अनुकरण करते थे। उस ज़माने की प्रसिद्ध काव्य-पत्रिकाओं में सनेहीजी की रचनाएं रसिक-रहस्य, साहित्य-सरोवर, रसिक-मित्र इत्यादि में छपने लगी थीं।
परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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