कालजयी कविताएँ

हिंदी साहित्य की कालजयी कविताओं का संकलन





नरेन्द्र शर्मा

साथी चाँद

नरेन्द्र शर्मा

शांत रस | आधुनिक काल

 1039  0

घनानंद

भोर तें साँझ लौ कानन ओर निहारति 

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1139  0

धर्मवीर भारती

साँझ के बादल

धर्मवीर भारती

शांत रस | आधुनिक काल

 1051  0

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

पर आँखें नहीं भरीं

शिवमंगल सिंह 'सुमन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1479  0

महाकवि बिहारीलाल

जाके लिए घर आई घिघाय

महाकवि बिहारीलाल

अद्भुत रस | रीतिकाल

 1108  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 2

रामधारी सिंह 'दिनकर'

वीर रस | आधुनिक काल

 1263  0

रहीम

जिहि कारन बार न लाये कछू

रहीम

अद्भुत रस | भक्तिकाल

 1154  0

हरिवंश राय बच्चन

ऐसे मैं मन बहलाता हूँ

हरिवंश राय बच्चन

शांत रस | आधुनिक काल

 1173  0

रामधारी सिंह 'दिनकर'

सिपाही 

रामधारी सिंह 'दिनकर'

वीर रस | आधुनिक काल

 2282  0

प्रभाकर माचवे

राही से

प्रभाकर माचवे

शांत रस | आधुनिक काल

 972  0

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

राम की शक्ति पूजा

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

वीर रस | आधुनिक काल

 1636  0

नरेन्द्र शर्मा

हर लिया क्यों शैशव नादान

नरेन्द्र शर्मा

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 892  0

कुम्भनदास

माई हौं गिरधरन के गुन गाऊँ।

कुम्भनदास

शांत रस | भक्तिकाल

 1121  0

गुलज़ार

इक इमारत

गुलज़ार

शांत रस | आधुनिक काल

 887  0

घनानंद

वहै मुसक्यानि, वहै मृदु बतरानि, वहै

घनानंद

शृंगार रस | रीतिकाल

 1165  0

नरोत्तमदास

सुदामा चरित

नरोत्तमदास

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 935  0

राजेश रेड्डी

मिट्टी का जिस्म लेके मैं पानी के घर में हूँ

राजेश रेड्डी

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1060  0

प्रदीप

मेरे मन हँसते हुए चल

प्रदीप

शांत रस | आधुनिक काल

 978  0

हरिवंश राय बच्चन

आत्‍मपरिचय

हरिवंश राय बच्चन

शांत रस | आधुनिक काल

 1152  0

गुलाब खंडेलवाल

मुझे तो लहर बना रहने दो

गुलाब खंडेलवाल

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 1028  0

कुम्भनदास

कितै दिन ह्वै जु गए बिनु देखे।

कुम्भनदास

शांत रस | भक्तिकाल

 1145  0

हरिओम पंवार

आजादी के टूटे-फूटे सपने लेकर बैठा हूँ

हरिओम पंवार

करुण रस | आधुनिक काल

 1420  0

वृन्दावनलाल वर्मा

विनोद 

वृन्दावनलाल वर्मा

शांत रस | आधुनिक काल

 860  0

भवानी प्रसाद मिश्र

निरापद कोई नहीं है

भवानी प्रसाद मिश्र

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 922  0

ठाकुर

वा निरमोहिनि रूप की रासि न

ठाकुर

शृंगार रस | रीतिकाल

 1159  0

देव

आवन सुन्यो है मनभावन को भावती ने 

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1140  0

चंदबरदाई

तन तेज तरनि ज्यों घनह ओप

चंदबरदाई

वीर रस | भक्तिकाल

 1564  0

नामवर सिंह

बुरा ज़माना

नामवर सिंह

शांत रस | आधुनिक काल

 945  0

प्रदीप

चलो चलें मन सपनो के गाँव में

प्रदीप

अद्भुत रस | आधुनिक काल

 938  0

प्रभाकर माचवे

प्रेम: एक परिभाषा

प्रभाकर माचवे

शांत रस | आधुनिक काल

 863  0



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