राजेश रेड्डी

जीवन परिचय

यूँ तो राजेश रेड्डी मूलतः हैदराबाद के है पर इनकी परवरिश गुलाबी शहर जयपुर में हुई। राजेश रेड्डी का जन्म 22 जुलाई 1952 को नागपुर में हुआ। इनके वालिद जनाब शेष नारायण रेड्डी जयपुर के बाशिंदे थे और नागपुर राजेश साहब की ननिहाल थी। इनके वालिद पोस्टल एवं टेलेग्राफ महकमें में थे पर संगीत उनका जुनून था सो घर के हर गोशे में संगीत बसा हुआ था। राजेश रेड्डी की पूरी तालीम जयपुर में ही हुई। राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से इन्होने एम्.ऐ हिन्दी साहित्य में किया। अपने कॉलेज के ज़माने से राजेश साहब को शाइरी के प्रति रुझान हुआ बशीर बद्र, निदा फ़ाज़ली और मोहम्मद अल्वी के क़लाम ने इन्हें मुतास्सिर किया पर शाइरी के पेचीदा पेचो - ख़म ,शाइरी की बारीकियां ,बात कहने का सलीक़ा सीखने के लिए राजेश रेड्डी साहब ने ग़ालिब के दीवान को अपना उस्ताद मान लिया। इनके वालिद जयपुर की नामी संगीत संस्था "राजस्थान श्रुति मंडल" से जुड़े थे ,घर में मौसिक़ी का माहौल था सो संगीत राजेश साहब के दिलो-दिमाग़ में रच बस गया। पढाई पूरी करने के बाद राजेश रेड्डी कुछ समय तक राजस्थान पत्रिका की "इतवारी पत्रिका" के उप-सम्पादक रहे और फिर 1980 से शुरू हो गई आकाशवाणी की मुलाज़मत।

लेखन शैली

इसमें भी कोई दो राय नहीं कि अपनी ग़ज़लों में रेड्डी साहब ऐसे सवाल छोड़ जाते हैं जिनका जवाब बस इन्सान खोजता ही रह जाता है। लफ़्ज़ों की जादूगरी से राजेश रेड्डी अपनी शाइरी को दूर रखते हैं कारी (पाठक ) से उनके अशआर सीधा संवाद स्थापित करते हैं और फिर ये गुफ़्तगू पढ़ने / सुनने वाले को सोचने के लिए मजबूर करती है। रेड्डी साहब शे'र जिस मक़सद से कहते हैं वे हमेशा उस मक़सद में कामयाब होते हैं।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा

शांत रस
2

आग है, पानी है, मिट्टी है, हवा है मुझमें

शांत रस
3

गीता हूँ कुरान हूँ मैं

शांत रस
4

हम धुएँ में जब ज़रा उतरे, धुआँ खुलने लगा

शांत रस
5

उधर परिन्दे को जब आसमान खींचता है ।

अद्भुत रस
6

किसी ने ग़म को कुछ समझा

शांत रस
7

भूल गए

अद्भुत रस
8

दुख के मुका़बिल खड़े हुए हैं

शांत रस
9

इस अहद के इन्साँ मे वफ़ा ढूँढ रहे हैं

शांत रस
10

मिट्टी का जिस्म लेके मैं पानी के घर में हूँ

अद्भुत रस
11

शाम को जिस वक़्त

करुण रस
12

निगाहों में वो हैरानी नहीं है

अद्भुत रस
13

ये जो ज़िन्दगी की किताब है

शांत रस
14

जो आईने में है उसकी तरफ़दारी भी करनी है 

शांत रस
15

ज़िन्दगी तूने लहू ले के

अद्भुत रस
16

अपने सच में

शांत रस
  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com