आदमी जो सुनता है, आदमी जो कहता है आनंद बख़्शी

आदमी जो सुनता है, आदमी जो कहता है

आनंद बख़्शी | अद्भुत रस | आधुनिक काल

कभी सोचता हूँ, कि मैं चुप रहूँ
कभी सोचता हूँ, कि मैं कुछ कहूँ

आदमी जो सुनता है, आदमी जो कहता है
ज़िंदगी भर वो सदाएँ पीछा करती हैं
आदमी जो देता है, आदमी जो करता है
रास्ते मे वो दुआएँ पीछा करती हैं

कोई भी हो हर ख़्वाब तो अच्छा नहीं होता
बहुत ज्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता है
कभी दामन छुड़ाना हो, तो मुश्किल हो
प्यार के रस्ते छूटे तो, प्यार के रिश्ते टूटे तो
ज़िंदगी भर फिर वफ़ाएँ पीछा करती हैं ...

कभी कभी मन धूप के कारण तरसता है
कभी कभी फिर दिल में, सावन बरसता है
प्यास कभी बुझती नहीं, इक बूँद भी मिलती नहीं
और कभी रिम झिम घटाएँ पीछा करती हैं ...

अपने विचार साझा करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com