अपनी कविता में तुमको पढ़कर Prashant Kumar Dwivedi
अपनी कविता में तुमको पढ़कर
Prashant Kumar Dwivediअपनी कविता में तुमको पढ़कर।
देख रहा अचरज से भरकर।
मेरी देखी चाँदनियों में आँचल तेरा
दर्द मेरा पर नयनो का है जल तेरा
नहीं प्रिये तू साथ मगर तन्हा मैं नहीं,
मेरे एकांतों का है हर पल तेरा।
मेरे हिय की वीणा से,निकले तेरी पायल के स्वर
मेरी कविता में तुमको पढ़कर......
भावों के अपसारों में अभिसारों में
सूने मन के सिसक रहे अंधियारों में
आँखों से बहते अश्रु की धारों में
सूखी नदी के बेबस बिकल किनारों में
पाया है सबमे तुमको, बस इक भाग्य में खोकर
अपनी कविता में तुमको पढ़कर.......