ठोकर तो खाकर देखिये Prashant Kumar Dwivedi
ठोकर तो खाकर देखिये
Prashant Kumar Dwivedi"चलना सीख जायेंगे ठोकर तो खाकर देखिये।
सुकून चाहिए हो तो आँसू बहाकर देखिये।
इंसान भी दोनों तरफ,हैवान भी दोनों तरफ,
आँख से मज़हब के चश्मे हटाकर देखिये।
सियासत से ज़्यादा ग़ैरत देखनी हो तो,
किसी तवायफ के कोठे पे जाकर देखिये।
आपको सियासत में बुलंदियाँ मिल जाएँगी,
जमीर को अपने थोड़ा सा गिराकर देखिये।
जिनकी इमारतों की ईंटें उसने जोड़ी हैं,
खुश हैं वो मजदूर की बस्ती जलाकर देखिये