तो रहने दो Prashant Kumar Dwivedi
तो रहने दो
Prashant Kumar Dwivediएक खूबसूरत ख्वाब भी न दिखा सको तो रहने दो।
एक भी मिलन का गीत न गा सको तो रहने दो।
सात आसमान पार कर मैं तुमसे मिलने आया हूँ,
तुम हाथ भी अगर न बढ़ा सको तो रहने दो।
मेरी आँखों जाने कितने दरिया बहे हैं उसपर,
तुम मुझे देखकर न मुस्कुरा सको तो रहने दो।
मेरी हर एक हकीकत का वास्ता है तुमसे,
तुम मुझे अपना वहम भी न बना सको तो रहने दो।
काँटों से बिंधा मन लिए मैं दुनिया से चला जाता हूँ,
मेरी कब्र पे दो फूल भी न चढ़ा सको तो रहने दो।
