तो रहने दो  Prashant Kumar Dwivedi

तो रहने दो

Prashant Kumar Dwivedi

एक खूबसूरत ख्वाब भी न दिखा सको तो रहने दो।
एक भी मिलन का गीत न गा सको तो रहने दो।

सात आसमान पार कर मैं तुमसे मिलने आया हूँ,
तुम हाथ भी अगर न बढ़ा सको तो रहने दो।

मेरी आँखों जाने कितने दरिया बहे हैं उसपर,
तुम मुझे देखकर न मुस्कुरा सको तो रहने दो।

मेरी हर एक हकीकत का वास्ता है तुमसे,
तुम मुझे अपना वहम भी न बना सको तो रहने दो।

काँटों से बिंधा मन लिए मैं दुनिया से चला जाता हूँ,
मेरी कब्र पे दो फूल भी न चढ़ा सको तो रहने दो।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1560
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com