और ना अब बात हो कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"
और ना अब बात हो
कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"अब ना होवे शांति वार्ता और ना अब बात हो,
अब यही हल है कि हर एक शत्रु पर आघात हो।
चाहिए किसको तुम्हारा हर समय मिलना मिलाना
उससे वैसी बात हो अब जिसकी जैसी जात हो।।
जानते हो स्वयं का कर्तव्य सत्ताधीश तुम?
चाहते हो और कितने सैनिकों के शीश तुम?
है मुझे भी रोष मेरे देश को भी रोष है,
तुम नहीं अवगत कदाचित् तो तुम्हें ये ज्ञात हो।।
शत्रुओं से सब लड़े पर हम तो अपनों से घिरे,
राजनेता कुछ हैं इनमें और हैं कुछ सिरफिरे।
कब तलक यूँ दोहरी सी जंग हम लड़ते रहें?
सुन लो वो भी गद्दार है जो ना हमारे साथ हो।।
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सीमाओं पर जब कोई सैनिक अपने प्राणों की आहुति देता है तब जाकर एक सामान्य नागरिक सुरक्षित समय बिताता है। परन्तु जब शत्रुओं पर कार्यवाही की पहल की जाती है तो कोई ना कोई राजनीतिक दल, संस्था इत्यादि इसका विरोध कर राजनीतिक रोटियाँ सेकने का प्रयास करते हैं। कम से कम इस विषय पर तो सम्पूर्ण राष्ट्र को एक होना चाहिए। यदि कोई इसका भी विरोध करता है या अब भी शांति की अपील करता है तो उसको शत्रु समान समझना ही उचित होगा।