शिकवा न करो DEVENDRA PRATAP VERMA
शिकवा न करो
DEVENDRA PRATAP VERMAशिकवा न करो ए दर्द-ए-दिल,
वो वक्त भी एक दिन आयेगा।
खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी,
तू गीत अमन के गाएगा।
जो बीत गया उसे याद न कर
आने वाले को बर्बाद न कर,
पलकों से मोती न बरसा,
कलियों की तरह मुस्काए जा,
जिसने तुझको हैं दर्द दिए,
वो वक़्त ही खुशियाँ लाएगा।
शिकवा न करो ए दर्द-ए-दिल,
वो वक्त भी एक दिन आयेगा।
माना कि सपने टूटे हैं
आशाओं के दामन छूटें हैं,
नए सपने फिर से सजाकर तू
आशाओं के दीप जलाएजा,
खोया है तुझसे कल जो यहाँ,
फिर तुझको मिल जाएगा।
शिकवा न करो ए दर्द-ए-दिल,
वो वक्त भी एक दिन आयेगा।
जीवन नाम है जीने का,
सुख दुख और खून पसीने का,
हँसकर इसे जीना सीख ले तू,
चाहे मौसम आए रोने का,
साँसे तुझसे ये कहती हैं
जो मौत से हर पल लड़ती हैं,
जलते रहकर दीपक कि तरह
सबको उजियारा दे जाएगा।
शिकवा न करो ए दर्द-ए-दिल
वो वक्त भी एक दिन आयेगा।