निखारो तुम DEVENDRA PRATAP VERMA
निखारो तुम
DEVENDRA PRATAP VERMAराह तकें हैं
चूड़ी, झुमके, लाली,
बिंदी, पायल।
पहरेदार
प्रेम के विरह में
पाषाण से हैं।
चाँद सताए
सितारों की लड़ियाँ
अंगार सी हैं।
बिखरी लटें
उलझी भटकती
पलकें छुए।
रूठे काजल
हवाओं पे बिफरे
धीमे बहो री।
कांतिहीन है
साज श्रृंगार सब
निखारो तुम।