शिखर का सच सलिल सरोज
शिखर का सच
सलिल सरोजशिखर
पे पहुँचकर
हिरण्यगर्भ में छिपा
कोई कस्तूरी प्राप्त नहीं होता,
या
कोई मरीचिका से
सानिध्य नहीं होता,
जो कि मृगतृष्णा में
उत्पन्न हुआ होता है।
बहुत एकांत और एकाकी है
शिखर पे पहुँचने
के बाद का सफर,
जहाँ प्यास
ओंस से बुझानी पड़ती है,
जहाँ हो
वही रहो
और खुश हो तो
शिखर वहीं है।