तुम मिलो तो सही !  HARI KISHOR TIWARI

तुम मिलो तो सही !

HARI KISHOR TIWARI

जख्म भर जाएँगे तुम मिलो तो सही,
गम टल जाएँगे तुम मिलो तो सही,
रास्ते में खड़े दो अधूरे स्वप्न कहीं,
एक घर को हम जाएँगे तुम मिलो तो सही।
 

फ़क्त का क्रूर छलका भरोसा नहीं,
आज जी लो जी भर के कल का भरोसा नहीं,
दे रही वो अगले जन्म की खबर,
जिनको अगले ही पल का भरोसा नहीं।
 

दूर तू है मगर मैं तेरे पास हूँ,
दिल अगर तू है तो मैं तेरा अहसास हूँ,
प्रार्थना या इबादत या पूजा कोई,
भावना अगर तू है तो मैं तेरा विश्वास हूँ।
 

इस अधूरी जवानी का क्या फायदा,
बिन मुहब्बत की ज़िन्दगी का क्या फायदा,
जिसमें धुलकर नज़र न पावन बने,
आँख में ऐसे पानी का क्या फायदा।
 

मेरे दिल में चले हर दिन एक ही हल चल,
आज तक जो किया उसकी एक ही कसम,
मैं जो हूँ वो उनकी आस ले के रोज़ बैठा रहा,
लौट आओ उसी आशिए की कसम।
 

ताल को ताल की एक झंकृति तो मिले,
रूप को भाव की एक अनुभूति तो मिले,
मैं भी सपने में आने लगूँ आपके,
पर मुझे आपकी वो स्वीकृति तो मिले।
 

दिन संवर जाएँगे तुम मिलो तो सही,
जख्म भर जाएँगे तुम मिलो तो सही,
रास्ते में खड़ी वो अधूरी स्वप्न,
एक घर को हम जाएँगे तुम मिलो तो सही।

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