बच्चों को गिरने पड़ने भी दीजिए सलिल सरोज
बच्चों को गिरने पड़ने भी दीजिए
सलिल सरोजबच्चों को गिरने पड़ने भी दीजिए,
धूल मिट्टी में उतरने भी दीजिए।
गर ज़ख्म हैं इस जमीन के तो,
इसी ज़मीन में भरने भी दीजिए।
निकालिए घर की चहारदीवारी से,
कुछ नई शरारत करने भी दीजिए।
उगा लेंगे खुद ही अपना आसमाँ,
हवाओं की पूँछ पकड़ने भी दीजिए।
हर नदी गंगा सी पवित्र हो जाएगी,
इन्हें पानी में उतरने भी दीजिए।
जंगलों में किलकारियाँ गूँजेंगी,
प्रकृति की गोद भरने भी दीजिए।
हर बच्चे में कोई खुदा है; फिर
उसे बच्चा ही रहने भी दीजिए।