तुमको दूर न जाने दूँगी  DEVENDRA PRATAP VERMA

तुमको दूर न जाने दूँगी

DEVENDRA PRATAP VERMA

छोड़ गए तुम हमको तन्हा
लेकिन इतना ध्यान रहे,
पीड़ा को मुस्काने दूँगी
तुमको दूर न जाने दूँगी।
 

बीच भंवर में तुमने छोड़ा
हर बंधन हर नाता तोड़ा,
मधुमय जीवन की आशा को
ग्रहण लगा इस अभिलाषा को,
यही भाग्य है यही नियति है
खुद को न समझाने दूँगी
तुमको दूर न जाने दूँगी।
 

मेरा मुझमें जो कुछ था
वह तुझको अर्पण कर आई,
तुझमे खोकर तेरी होकर
मुस्कानों की राह बनाई,
उन राहों पर न जाने की
बंदिश नही लगाने दूँगी
तुमको दूर न जाने दूँगी।
 

तुम प्रेम के गहरे सागर
मैं नदिया की चंचल धारा,
मधुर प्रेम के रंग मंच पर
वरमाला ने हमें पुकारा,
हाय! हमारी वरमाला के
पुष्प नहीं मुरझाने दूँगी
तुमको दूर न जाने दूँगी।

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