यहाँ अब जीना भी मुहाल है सलिल सरोज
यहाँ अब जीना भी मुहाल है
सलिल सरोजयहाँ अब जीना भी मुहाल है,
ये सियासत की सब चाल है।
जो जवाब मालूम हो, वही पूछो,
इस माजरे का शिकार, सवाल हैं।
मिट्टी है सोना, सोना है मिट्टी,
न जाने ये कैसा गोलमाल है।
आप गलत देखें भी, बोलें भी,
किस बंदे में इतनी मजाल है।
इंक़लाब लेके आएँगे मजलूम,
अच्छा तो है पर झूठा ख्याल है।