मुक्त करो भगवन को आज! सलिल सरोज
मुक्त करो भगवन को आज!
सलिल सरोजसदियों से मंदिर की चौखटों में
मनुष्य बचाता रहा है ईश्वर की लाज,
पर दम घोंट कर मारने से बेहतर;
मुक्त करो भगवन को आज!
बेलपत्र, दूध, गंगाजल, चन्दन, धूप,
हरेक से शुद्ध कराया ईश्वर को,
पर आडम्बर के दलदल में फँसता गया समाज, सो
मुक्त करो भगवन को आज!
जो शीश बदल जाए हर साल,
उसी पर चढ़े सोने-चाँदी का मुकुट और ताज,
पाखंडी और पंडितों की सामंतवादी गुलामी से,
मुक्त करो भगवन को आज!
न दबाओ घंटियों में उसकी हुँकार,
कभी तो सुनो बेजान मूर्तियों की पुकार,
मानवता के प्राण बचाने को,
मुक्त करो भगवन को आज!