माँ का चेहरा कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"
माँ का चेहरा
कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"मैंने माँ का चेहरा देखा,
चिंता का सा पहरा देखा,
थकी हुई आँखों में प्रति पल,
आशाओं को ठहरा देखा।
माँ ने दुःख के दिन भी देखे,
कुछ अपनों के बिन भी देखे,
पर अपनों की खातिर उसने,
सपना रोज़ सुनहरा देखा।
वो थक कर भी ना थकती है,
क्योंकि वो ना थक सकती है,
लहरों से लड़ती आँखों ने,
आज तलक ना सहरा देखा।
हँस कर सारे दुःख सह जाना,
जाने कब उसने है जाना?
पर हँसती गाती आँखों में,
घाव समय का गहरा देखा।