सावन  Shubham Amar Pandey

सावन

Shubham Amar Pandey

उमड़-उमड़ जब बादल आएँ
सावन की दस्तक दे जाएँ,
धरती फूले नहीं समाए
सावन की आहट जब पाए।
 

रूखी-सूखी, पत्ती-पत्ती, डाली-डाली
सावन के आने से आती है हरियाली,
हरी–भरी धरती हो जाए
जल की मधुर-मधुर बूँदें जब पाए।
 

हरी-हरी सी नई नवेली
दुल्हन सी लगती है धरती,
भीनी-भीनी खुशबू निकले
बूँद एक जब छू कर गुज़रे।
 

पेड़ों पर अब झूला झूले
होठों पे कजरी गीत चले,
गुंजायमान नभ तक हो जाए
सावन जब दस्तक दे जाए।

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