कौन मेरे गुनाहों पर पर्दा डाल देता है सलिल सरोज
कौन मेरे गुनाहों पर पर्दा डाल देता है
सलिल सरोजवो कौन है जो मेरे गुनाहों पर पर्दा डाल देता है,
और मेरे गुनहगार होने का डर निकाल देता है।
बताओ, कैसे आदतें ये अपनी काबू में आएँगीं,
वो तो रोज़ कोई नया सिक्का उछाल देता है।
मैं कोशिश में हूँ कि कोई तो मीनार बच जाए,
हवा जब चले तेज़ तो हाथ में वो मशाल देता है।
अगर मिले मुझे जवाब तो मैं शान्त हो जाऊँ,
वो मंज़िल के करीब लाकर नया सवाल देता है।
मैं उस की गली में जाना कब का छोड़ देता,
वो मेरी आँखों को तराशा हुआ जमाल* देता है।
जमाल-खूबसूरती