अभी आँखें बंद रहें तो ही सही सलिल सरोज
अभी आँखें बंद रहें तो ही सही
सलिल सरोजअभी आँखें बंद रहें तो ही सही है,
ख़्वाब नज़रबंद रहें तो ही सही है।
मसअला है तेरे और मेरे बीच का,
सलीका हुनरमंद रहे तो ही सही है।
जो भी लहजा है तेरे इख़्तियार में,
मुझे भी पसंद रहे तो ही सही है।
मैं दरिया हूँ तो अपनाना था मुझे,
तू कोई समंदर रहे तो ही सही है।
कब तक हिफाज़त कर पाऊँगा,
तू मेरे अन्दर रहे तो ही सही है।
मैं बसा लूँ तुझे मूरत की तरह,
तू भी मंदिर रहे तो ही सही है।