प्रार्थना Shubham Amar Pandey
प्रार्थना
Shubham Amar Pandeyहे! प्रभु, ईश्वर हे! पालनहार
अब तो सुन लो हम
दुखियों की करुण पुकार!
अनजाने शत्रु के हमले से
खतरे में वंश तुम्हारा है,
असमय ही यम के द्वारे पर
खड़ा है जो अंश तुम्हारा है।
विकराल काल मुँह खोले है
भुवन लील जाने को है,
प्रकृति संतुलन बिगड़ रहा है
धरा पे यम आने को है।
अस्तित्व धरा का खतरे में है
सृष्टि का अंत निकट है लगता,
दानव नया रूप धर आया
मिलने जुलने से है बढ़ता।
अस्त्र शस्त्र विद्या गुण औषधि
सब निष्प्रभावी हो जाते हैं,
सम्मुख साहस कर जो जाते
चिर निद्रा में सो जाते हैं।
प्रभु सृष्टि पर दया करो अब
धरती शमशान न होने पाए
मानव कुल को अब तो बचा लो
अधर्म धर्म पर जीत न जाए।
इस दानव को दिखला दो कि
तुम्ही महीपत, पालनहार,
मंगल गीत व्योम तक गूंजे
सदा सर्वदा हो मानव कल्याण।