तुम्हारे सिवा और आदत क्या है सलिल सरोज
तुम्हारे सिवा और आदत क्या है
सलिल सरोजजो असर ही ना करे अपने मर्ज़ पर,
उस हुस्न की आखिर कीमत क्या है।
इक चेहरे पर निगाह बर्फ हो गई,
पर तुम्हारे सिवा और आदत क्या है।
तुम्हें भूल कर भी तो चैन नहीं आता,
यही एक सच है, इसमें हैरत क्या है।
ज़माना कहता तो है कि हम एक हैं,
तुम्हें माँग लिया तो ये हुज्जत क्या है।
फ़ना हो जाएँगे तुम्हारे नाम पर हम,
पर मरके भी दिल को राहत क्या है।