शायद तब हम ना होंगे कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"
शायद तब हम ना होंगे
कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"उनको मेरी चाहत का
अहसास भी होगा इक दिन,
पर शायद तब हम ना होंगे।
वो हर इक पल मेरे हिस्से का
जो मैंने बिताया था बस जुदाई में,
वो हर इक बूँद अश्क़ की
जो मैंने बहाई यूँ ही तन्हाई में।
वही आँसू उनकी पलकों के
पास भी होगा इक दिन,
पर शायद तब हम ना होंगे।
उनको मालूम नहीं जानें क्यों
मायने क्या हैं उनके मेरे लिए,
जिसे सजाता रहा मैं समझके गुलशन सा,
वो तो बेकार सा है तेरे लिए।
आज बेकार है पर याद रखो
ख़ास भी होगा इक दिन,
पर शायद तब हम ना होंगे।