बेशक कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"
बेशक
कौशल कुमार जोशी "कृष्णा"मोहब्बत की दुनिया बसाने की सोचो,
दिल- ए महबूब में घर बनाने की सोचो।
मगर सोच लो इक जुदाई भी होगी,
इसलिए पहले जालिम जमाने की सोचो।
इस कदर तुमको खुद को बदलना पड़ेगा,
दर्द-ओ गम में भी तुम मुस्कराने की सोचो।
खुद कहेगी खुशी आसरा दे के कुछ पल,
अब चलो तुम नए आश़ियाने की सोचो।
मैं जिसको समझ कर ठिकाना रुका था,
उस जगह ने कहा अब ठिकाने की सोचो।
गलतियाँ, बेवकूफी, कुछ उम्मीदें भी ज़ायज,
पर नहीं बदले में प्यार पाने की सोचो।