सत्य  DEVENDRA PRATAP VERMA

सत्य

DEVENDRA PRATAP VERMA

हे! तात मैंने कई बार सुना है,
सत्य सत्य तुमने जो धुना है!
मेरी मति भ्रमित हो जाती,
क्या रहस्य यह समझ न पाती।
 

तात मुदित हो अति हर्षाए
अपने जैसा शिष्य जो पाए,
ज्ञान कुंज से फूल चुनो
देववाणी का मूल सुनो।
 

जिनसे बनते हैं शब्द कई
वे तत्व धातु कहलाते हैं,
सत्य शब्द का मूल रूप
सुनो तुम्हें हम बतलाते हैं।
 

दो धातुओं सत और तत से
मिलकर बनता सत्य है,
धातु सत का अर्थ यह है
धातु तत का अर्थ वह है।
 

यह और वह दोनों ही सत्य हैं
मैं और तुम दोनों ही सत्य हैं,
मुझमें तुम हो तुझमें मैं हूँ
हम दोनों ईश स्वरूप हैं।
यही सत्य है परम शाश्वत
यही सृष्टि का रूप है।
 

अर्थात अहंब्रह्मास्मि वही है
जो तत्वमसि में कहा गया,
हे तात तुम्हारी अनुकंपा से
यह रहस्य समझ में आ गया।

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