जीवन के मोड़ पर DEVENDRA PRATAP VERMA
जीवन के मोड़ पर
DEVENDRA PRATAP VERMAजीवन के इस मोड़ पे ख़ुद हम
आए नहीं हैं लाए गए हैं,
तेरी कसम सच रोए नहीं हैं
वक़्त के मारे रुलाए गए हैं।
राह में दीप लिए जलते
हम अपनी राह भुलाए गए हैं,
भूल गए सब नाम हमारा
कि नाम से तेरे बुलाए गए हैं।
कहते-कहते सब कह डाले
झूठ को सच कहना नहीं आया,
रोज़ रहे तनहाई में पर
तेरे बिना रहना नहीं आया।
पीर सहे नहीं नीर बहे
जब नीर बहे सहना नहीं आया,
बह तो गए लिए प्रेम शिखा
पर डूब गए बहना नहीं आया।
घर में रहे तो रहे लेकिन
दिल में स्थान बना नहीं पाए,
बात कहे तो कहे लेकिन
हम प्रेम प्रबंध पढ़ा नहीं पाए।
यूँ तो संभाल लिए सबको
इक बोझ तुम्हारा उठा नहीं पाए,
क्या थी वजह क्या मजबूरी थी
चाह के भी समझा नही पाए।