रामधारी सिंह 'दिनकर'

जीवन परिचय

23 सितंबर 1908 को बिहार के मुंगेर ज़िले के सिमरिया गाँव में जन्मे रामधारी सिंह ‘दिनकर’ उस दौर के कवि हैं जब हिन्दी काव्य जगत् से छायावाद का युग समाप्त हो रहा था। पटना विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद दिनकर जी ने एक हाईस्कूल में अध्यापन कार्य किया। उसके बाद अनेक महत्वपूर्ण प्राशासनिक पदों पर रहते हुए आप मुज़फ्फ़रपुर कॉलेज में हिन्दी के विभागाध्यक्ष बने और बाद में भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी बने। अनेक महत्वपूर्ण पुरस्कारों तथा सम्मानों से अलंकृत होने के साथ ही आप भारत सरकार के पद्म विभूषण अलंकरण से भी नवाज़े गए। 24 अप्रेल सन् 1974 को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ये नश्वर देह छोड़कर चले गए।
‘मिट्टी की ओर’, ‘अर्ध्दनारीश्वर’, ‘रेती के फूल’, ‘वेणुवन’, ‘साहित्यमुखी’, ‘काव्य की भूमिका’, ‘प्रसाद, पंत और मैथिलीशरण गुप्त’ तथा ‘संस्कृति के चार अध्याय’ आपके गद्य ग्रंथ हैं। इनमें शोध और भारतीय संस्कृति की गहरी महक दिखाई देती है।
‘रेणुका’, ‘हुंकार’, ‘रसवंती’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘रश्मिरथी’, ‘परशुराम की प्रतिज्ञा’, ‘हारे को हरिनाम’ और ‘उर्वशी’ दिनकर जी के काव्य संकलन हैं।

सिमरिया की गलियों में आज भी दिनकर जी के बचपन की यादें कुलाचें भरती हैं। अपनी काव्य प्रतिभा के आधार पर गंगा तट का यह लाडला पुत्र पूरे विश्व में हिन्दी के एक चेहरे के रूप में जाना जाता है।

लेखन शैली

रामधारी सिंह 'दिनकर' के लेखन में जो वैविध्य है वह केवल विधा के स्तर तक सीमित न रहकर रस के स्तर पर भी अत्यंत व्यापक है। एक ओर उर्वशी जैसी विशुध्द शृंगारी रचना और दूसरी ओर कुरुक्षेत्र, रश्मिरथी और परशुराम की प्रतिज्ञा जैसी अग्निमुखी रचनाएँ। शोध करने चले तो ‘संस्कृति के चार अध्याय’ सरीखा अद्भुत ग्रंथ रच डाला।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

हमारे कृषक

अद्भुत रस
2

आग की भीख

भयानक रस
3

कुरुक्षेत्र / द्वितीय सर्ग / भाग 2

वीर रस
4

कृष्ण की चेतावनी

रौद्र रस
5

वातायन

शांत रस
6

रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद

वीर रस
7

परदेशी

करुण रस
8

कलम या कि तलवार

वीर रस
9

मज़दूर

करुण रस
10

जनतन्त्र का जन्म

वीर रस
11

कलम, आज उनकी जय बोल

वीर रस
12

व्याल-विजय

अद्भुत रस
13

वीर

वीर रस
14

कुरुक्षेत्र / द्वितीय सर्ग / भाग 5

वीर रस
15

शक्ति और क्षमा 

वीर रस
16

मनुष्यता

वीभत्स रस
17

ध्वज-वंदना

अद्भुत रस
18

कुंजी

शांत रस
19

गीत-अगीत 

अद्भुत रस
20

एक विलुप्त कविता

अद्भुत रस
21

दिल्ली

करुण रस
22

आशा का दीपक

वीर रस
23

जब आग लगे

अद्भुत रस
24

कुरुक्षेत्र / प्रथम सर्ग / भाग 1

वीर रस
25

समर शेष है

वीर रस
26

कुरुक्षेत्र / प्रथम सर्ग / भाग 2

वीर रस
27

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 5

वीर रस
28

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 4

वीर रस
29

कुरुक्षेत्र / द्वितीय सर्ग / भाग 1

वीर रस
30

परम्परा

शांत रस
31

कुरुक्षेत्र / द्वितीय सर्ग / भाग 3

वीर रस
32

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 1

वीर रस
33

पर्वतारोही

अद्भुत रस
34

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 3

वीर रस
35

रोटी और स्वाधीनता

अद्भुत रस
36

लोहे के पेड़ हरे होंगे 

वीर रस
37

विजयी के सदृश जियो रे

वीर रस
38

परिचय

अद्भुत रस
39

कुरुक्षेत्र / द्वितीय सर्ग / भाग 4

वीर रस
40

समुद्र का पानी

अद्भुत रस
41

राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी

शांत रस
42

पक्षी और बादल

शांत रस
43

कुरुक्षेत्र / तृतीय सर्ग / भाग 2

वीर रस
44

सिपाही 

वीर रस
45

लोहे के मर्द

वीर रस
46

शोक की संतान 

करुण रस
47

करघा

शांत रस
48

एक पत्र 

अद्भुत रस
49

माध्यम

शांत रस
50

निराशावादी

अद्भुत रस
51

मेरे नगपति! मेरे विशाल!

अद्भुत रस
52

अवकाश वाली सभ्यता

अद्भुत रस
53

झील

अद्भुत रस
54

गाँधी

अद्भुत रस
55

बालिका से वधू

अद्भुत रस
56

हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों

अद्भुत रस
57

लेन-देन

शांत रस
58

जियो जियो अय हिन्दुस्तान

वीर रस
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