विप्लव - एक पवित्र प्रेम कहानी  VIKAS UPAMANYU

विप्लव - एक पवित्र प्रेम कहानी

कहानी के माध्यम से बताने का प्रयत्न किया गया है कि प्रेम एक पवित्र रिश्ता है जो कभी खतम नहीं होता

किसी गॉंव में एक लड़का जिसका नाम विप्लव था अपने परिवार के साथ रहता था। वह अपनी पढ़ाई करने के लिए शहर के स्कूल में जाया करता था। जब वह 11वीं कक्षा में आया तो उसने वाणिज्य विषय को चुना, अभी तक वह लड़कों के स्कूल एवं उनके साथ ही पढता आया है, शैक्षिक सत्र के आरम्भ होने के बाद उसको वाणिज्य विषय का ट्यूशन शुरू करने के लिए दोस्तों द्वारा प्रेरित किया गया। शुरू से ही उसका स्वभाव अपने दोस्तों के प्रति बहुत सकारत्मक था, अपने दोस्त के कहने पर उसने शहर में ही एक भैय्या के पास ट्यूशन शुरू करने का मन बना लिया।

दो दिन सभी लड़कों के साथ ट्यूशन चलता रहा, अगले दिन उसको पता चला कि कल से उसको दूसरे बैच में आना है जोकि लड़कों और लड़कियों का एक साथ था। अभी तक केवल लड़कों के साथ पढ़ने वाला यह लड़का जो लड़कियों के स्वभाव व व्यवहार से बहुत दूर था। अगले दिन वह ट्यूशन के सही समय पहुँच गया, उसने वहाँ देखा कि बहुत से लड़के लड़कियाँ पहले से बैठे हैं। वह भी अपनी सीट लेकर बैठ गया और अपनी पढ़ाई करने में व्यस्त हो गया। धीरे-धीरे ऐसे ही चलता रहा, वहाँ पर पढ़ने वाले लड़के और लड़कियाँ आपस में बहुत मजाक मस्तियाँ करते रहते थे, कुछ दिनों बाद अचानक उस लड़के की नज़र एक लड़की पर गई जो चुपके-चुपके लड़कों की खिचाई करने में माहिर थी। उसकी इसी अदा को उस लड़के ने पसंद कर लिया और उसको अपना दोस्त बनाने का मन बनाया, लेकिन उसको वहाँ ट्यूशन में ही सुनने को मिला कि उसको कोई और भी पसंद करता है और शायद वो भी किसी को पसंद करती है। इसी कश्मकश में पूरा सत्र बीत गया, वो पूरा सत्र उस लड़के के लिए बहुत अहम था, इस पूरे सत्र में वह उस लड़की से कभी बात तक नहीं कर पाया।

12वीं पास करने के बाद विप्लव भी अपनी स्नातक की पढ़ाई करने के लिए किसी दूसरे शहर चला जाता है लेकिन कहीं न कहीं वह उस लड़की के नैनों को नहीं भूल पाता है फिर सोचता है कि उसका और अपना कोई मेल नहीं, वो शहर की रहने वाली और वो देहाती गाँव का रहने वाला। इसी कश्मकश में उसकी यादें समय के साथ कुछ कम होने लगी, वो लड़का भी अपनी आज़ादी एवं पढ़ाई में व्यस्त हो गया।

कॉलेज के उन दिनों में उसको बहुत से दोस्त मिले जिनमें लड़के और लड़कियाँ दोनों शामिल थे, उसके साथ पढ़ने वाली एक लड़की उसको बहुत पसंद करती थी लेकिन वो लड़का उसको केवल अपनी सहपाठी और एक अच्छी दोस्त समझता था। धीरे-धीरे समय बीतता गया, उसी समय सोशल मीडिया में फेसबुक नाम की सोशल साईट बहुत प्रचलित हुई, उस लड़के ने भी अपना प्रोफाइल सोशल साईट पर बनाया। बहुत से ऐसे मित्र जो उसके छूट चुके थे वो सब इसके माध्यम से मिल गए।

एक दिन फेसबुक पर सर्च करते हुए वो लड़की उसके किसी साथी दोस्त की फ्रैंड लिस्ट में दिखाई दी जो कभी उसके साथ ट्यूशन पढ़ा करती थी, आज उसका दिल बहुत खुश था, उस लड़के ने उस लड़की को सन्देश भेजा कि क्या आप मुझे जानती हो। दो दिन बीत जाने के बाद उस लड़की का सन्देश आया कि - हाँ शायद आप भैया के यहाँ ट्यूशन पढते थे। उसके इस सन्देश को पढ़कर लगा कि चलो जानती तो है धीरे-धीरे हाय-हेल्लो और बाते-साते होने लगी, लगभग एक महीना बीत जाने के बाद उस लड़के को लगा कि अब वो अच्छी दोस्त है और कहीं न कहीं वो भी उसको पसंद करने लगी है। एक दिन उस लड़के का दिल नहीं माना और उसने अपने दिल कि बात उसको बता डाली, उसकी सब बात सुनकर लड़की ने मना कर दिया और बोलने लगी कि सभी लड़के एक जैसे होते हैं, वो उसको एक अच्छा दोस्त मानती है। उसकी ये सब बातें सुनकर उस लड़के का दिल उदास हो गया लेकिन ये सोचकर अच्छा भी लगा कि उसको दोस्त तो मानती है। वो लड़का उस लड़की को हर हाल में खुश देखना चाहता था, अब उस लड़के ने उस लड़की से बातें कुछ कम करनी शुरू कर दी लेकिन कहीं न कहीं वो लड़की भी उस लड़के से प्यार करती थी। वो हमेशा उसको बोलती कि तुम अब मेरी फ़िक्र नहीं करते और ना ही अब इतनी बात करते हो, तुम मुझे अपना दोस्त नहीं मानते। उसकी ऐसी बातें सुनकर वो उसको बोलता कि ऐसी कोई बात नहीं है, कुछ दिन ऐसे ही बीतते गए।

एक दिन उस लड़की ने उस लड़के से कहा कि वो उसके बिना नहीं रह सकती वह उससे बहुत प्यार करती है, उसकी ये बातें सुनकर लड़के के होश उड़ गए मानो उसने संसार जीत लिया हो, दोनों ने एक साथ जीने मरने कि कसमे खाई और अपने प्रेमिक जीवन को जीने लगे, लेकिन अभी तक दोनों परिंदे आपस में एक दूसरे से मिले तक नहीं थे।

कुछ समय बाद उस लड़के की स्नातक की पढाई पूरी हो जाती है और वह नौकरी करने के लिए बाहर किसी शहर चला जाता है। दोनों को प्रेम परवान चढ़ने लगा, एक दूसरे से बातें किए बिना न रह पाना, एक दिन वह लड़का उस लड़की से मिलने उसके शहर आया और उसको एक रिंग पहना कर हमेशा के लिए अपना बनाने कि कसमे खाई। धीरे-धीरे समय बीतता गया, दोनों के बीच में छोटी-छोटी बातों को लेकर लड़ाईयाँ होने लगी। नौकरी के कारण लड़का इतना समय नहीं दे पाता था जितना वह पहले बात करता था, उसकी इसी बात को लेकर वह नाराज रहने लगी। इसी दौरान उस लड़के को कुछ दिनों के लिए डिप्लोमा करने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा इस बीच उन दोनों की बातें बहुत कम होने लगी और एक दिन दोनों में बहुत लड़ाई हुई। दोनों ने कभी न बात करने तक की बात कह डाली और अब दोनों के बीच बात होना बंद हो गया लेकिन वह लड़का रोज़ उसका इन्तेजार करता कि उसकी कॉल आए, लेकिन उसकी कॉल नहीं आई। एक दिन जब उस लड़के से नहीं रहा गया तो उसने उस लड़की को कॉल किया और उसको बताया कि वो उसके बिना नहीं रह सकता। उस लड़के की ये सब बातें सुनकर उस लड़की ने सभी बातों को इग्नोर कर दिया। कुछ दिनों बाद उस लड़के को पता चला कि वो लड़की किसी और लड़के से बात करती है और इसीलिए उसने उससे बात नहीं की। ये सब सुनकर वो लड़का मानो पागल हो गया हो उसने जैसे तैसे करके उस लड़की को मना लिया लेकिन वो लड़की कहीं न कहीं उस लड़के से मन से नहीं मिल पाई। अब उस लड़के को लगने लगा कि वह उस लड़की से जबरदस्ती बात करता है, इसी समय के दौरान उस लड़के को नौकरी के लिए फिर से दूसरे शहर जाना पड़ा, इस बीच उन दोनों की बातें बहुत कम हो पाई। इसी बात से नाराज होकर उस लड़की ने अपना नंबर बदल लिया, उसकी इसी बात को सोचते हुए उस लड़के ने उस लड़की से बात करने की कोशिश नहीं की क्योंकि उसको लगने लगा कि अब वो उसका साथ नहीं देगी। लेकिन यह बात बिलकुल सच है कि वह लड़का उस लड़की को कभी नहीं भुला पाया। कुछ समय बाद उस लड़की का जन्मदिन आया, उस लड़के ने उस लड़की को विश किया और उसका जन्मदिन अपने रूम पर मनाया। उस लड़के के विश करने पर वो लोग फिर से फेसबुक पर बातें करने लगे। धीरे-धीरे बहुत सी बातें होने लगी, एक दिन वो लड़की बोली कि उसके पापा उसके लिए लड़का ढूँढ रहे हैं और उसके सभी परिवार और रिश्तेदार चाहते हैं कि उसकी शादी उन्हीं के समाज में हो, लेकिन फिर भी अगर उसको मुझसे शादी करनी है तो पापा से आकर बात करे लेकिन लड़के के पापा भी बहुत मूलवादी थे, वो अपने लड़के की शादी अपने समाज में ही करना चाहतें थे। अपने पापा की ये सब बातों को सोचते हुए उस लड़के ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया और एक दिन पता चला कि उस लड़की की शादी पक्की हो गई। अब उस लड़के की समझ में नहीं आ पाया कि उसको क्या करना है, सोचते-सोचते ही एक दिन उसकी शादी किसी अच्छे पैसे वाले व्यवसायी से हो गई। अब वो लड़की अच्छे से अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रही है।

कुछ समय पश्चात उस लड़के के घरवाले भी उसकी शादी पक्की कर देते हैं, अब वो लड़का भी अपने दांपत्य जीवन को जीने लगता है और दोनों ही अपना जीवन अच्छे से व्यतीत करते है और अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।

दोस्तों, इस कहानी के माध्यम से मैं कहना चाहूँगा कि कुछ लोग प्यार करते हैं लेकिन उसको हासिल नहीं कर पाते तो उसको बदनाम या उसको नुकसान पहुँचाने का काम करते हैं जबकि कोई किसी को सच्चा प्यार करता है तो उसके बारे में कभी भी गलत सोच ही नहीं सकता है या ये कहो कि दो प्रेमियों को प्रेम स्थापित करने के लिए उसको पा लेना ही जरुरी नहीं। इसी बात पर एक वक्तव्य याद आता है जब राधा ने कृष्ण जी से पूछा कि आपने मुझसे शादी क्यों नहीं कि तब कन्हैय्या जी ने कहा कि राधे शादी के लिए दो शरीर की आवश्यकता होती है और हम तो एक हैं।

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