राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और कोट पैंट  VIKAS UPAMANYU

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और कोट पैंट

प्रस्तुत कहानी के माध्यम से गाँधी जी के व्यक्तिव व महानता के बारे में बताने का प्रयास किया गया है

गाँधी जी बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। उनकी सादगी, सरलता उनके व्यक्तिव की पहचान थी। एक बार गाँधी जी के पास एक व्यवसायी आया और बोला, "गाँधी जी आप इतना सादा पहनावा क्यों पहनते हो आप भी हमारी तरह कोट पैंट पहना करो।"

गाँधी जी उस व्यवसायी से बोले मेरे पास इतना धन नहीं है कि मैं तुम्हारी तरह कोट पैंट पहन सकूँ और मेरा परिवार बहुत बड़ा है, जब तक मेरा परिवार अच्छे कपड़े या कोट पैंट नहीं पहन सकता तो मैं कैसे पहन सकता हूँ।

गाँधी जी ये बातें सुनकर व्यवसायी बोला, "मैं आपके पूरे परिवार के लिए अच्छे कपड़ों और कोट पैंट की व्यवस्था कर दूँ तो क्या आप कोट पैंट पहनोगे।"

व्यवसायी की ये बातें सुनकर गाँधी जी बोले, "यदि तुम मेरे पूरे परिवार के लिए ऐसा कर सकते हो तो मैं जरुर कोट पैंट पहन लूँगा।"

व्यवसायी बोला, "तो अब आप मुझे अपने परिवार के बारे में बताएँ ताकि मैं आपके परिवार के लिए अच्छे कपड़ों की व्यवस्था कर सकूँ।"

गाँधी जी बोले, "भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति मेरे परिवार का हिस्सा है, क्या तुम इन सब को कोट पैंट या अच्छे कपड़े पहना सकते हो? और यदि हाँ तो मैं कोट पैंट पहनने के लिए तैयार हूँ।"

गाँधी जी के ये वचन सुनते ही व्यवसायी उनके चरणों में गिर गया और बोला, "आप सच्चे महात्मा हैं इसीलिए संसार आपको “राष्ट्रपिता” कहता है मुझे माफ कर दीजिए, मैं आपको शत-शत नमन करता हूँ।"

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