अधूरी दास्ताँ  Adarsh Tiwari

अधूरी दास्ताँ

इस गहरी ख़ामोशी के बीच नज़र शोर मचाते हुए क्या काम कर रही थी, ये उसकी नज़र जानती और मेरी नज़र जानती थी।

"एक नज़र में भी प्यार होता है"
"एक नज़र में भी प्यार होता है"
"देर लगी आने में तुमको
शुक्र है फिर भी आये तो"

ऑटो में ये गाना उस वक़्त और भी शानदार लगने लगा, जब ऑटो रुका और एक बेहद खूबसूरत लड़की जो शायद जन्नत से भटककर यहाँ चली आई थी, ऑटो में बैठी। आज भिटरिया से मवई तक आधे घंटे का सफ़र रोमांटिक गानों की चपेट में रोमांटिक होता जा रहा था। यूँ ही नज़रों का बार-बार टकराना और दिल का सीने को धकेलकर धड़क उठना चलता रहा ... चलता रहा । अब ये ड्राइवर की करामात थी या क़िस्मत की, अब या ड्राइवर जाने या क़िस्मत, पर यहाँ हर गाना मेरे दिल-ओ-दिमाग़ को ही पढ़कर बजता रहा ।

"हैं जो इरादे बता दूँ तुमको
शर्मा ही जाओगी तुम,
धड़कने जो सुना दूँ तुमको
घबरा ही जाओगी तुम"

शायद हम दोनों का गाने के हर एक बोल पर उतना ही ध्यान था जितना एक दूसरे पर और गाने के ये बोल सुनते ही उसका, अपनी तिलिस्मी निगाहों को झुकाना और एक हल्की सी मुस्कान .... मेरे दिल का बुरा हाल करने के लिए काफ़ी थी, मानो दिल को सीने के अंदर रखकर मैंने उसके साथ बेमानी कर दी हो और वह ज़ोर-ज़ोर से धड़क कर वहाँ से हटने के लिए बेताब हो। और मैं लम्बी लम्बी साँसें छोड़कर उसे कह रहा होऊँ, "ऐ नादाँ और बेक़ाबू दिल, क़ाबू कर ख़ुद पे तेरी वहीं जगह है।"

"ज़बाँ ख़ामोश रहती है
नज़र से काम होता है,
इसी पल का ज़माने में
मोहब्बत नाम होता है"

और इस गाने ने तो मानो, जान ही निकाल दी थी।

इस गहरी ख़ामोशी के बीच नज़र शोर मचाते हुए क्या काम कर रही थी, ये उसकी नज़र जानती और मेरी नज़र जानती थी।

कुमार सानू का ये जादुई गाना, शायद हमारे दिल की बात एक दूसरे को बता रहा था ।

"आज क़यामत पे भी शायद क़यामत आ पहुँची थी"

ऑटो रामसनेही घाट से आगे बढ़ चुका थी, मंजिल अभी 10 मिनट की दूरी पर, पर सामने एक और मंज़िल थी जिसने गज़ब का मंज़र बना रखा था।

तभी उसका फ़ोन बजा, -- " हाँ भइया कहाँ ? .....
क्या ? ....
मवई नहीं, रानीमऊ ....
ठीक है ।

भइया रानीमऊ रोक लेना' -- ऑटो वाले को अपनी सुरीली, और जादुई आवाज़ में उसने इत्तला किया और एक नज़र मेरी तरफ देखा, वो शायद बता रही की अब और ज़्यादा देर नहीं ।

हाँ मुश्किल से मेरे पास दो मिनट और थे, तभी मेरे दिल में छिपे ग़ालिब बोल उठे,

"छोड़ दूँ उन्हें यूँ ही जाने के लिए, या
बहका लूँ ख़ुद को उन्हें पाने के लिए।"

कुछ करना पड़ेगा, मोबाइल नंबर मांगता हूँ, सोचते हुए मैं, कुछ हरकत में आता हूँ और वो भी ...और एक लंबी साँस लेके, ऑटो में बैठे सभी लोगों को नज़रन्दाज़ करते हुए, आख़िरकार, बड़े ही सहज अंदाज़ में मैंने उससे बोला, "अच्छा यमिका, अपना मोबाइल नंबर दो यार" (नाम इसलिए ताकि औरों को शक़ ना हो ।)

हाँ, आईडिया का तो होगा ही, ये वोडाफोन वाला नोट करलो, उसने मुझसे ज्यादा सहज अंदाज़ में कहा।

नाइन फोर --
हाँ,
फाइव वन--
क्या ?
सिक्स वन--
हाँ,

जल्दी आओ भई, रानीमऊ -- (ड्राइवर का ये कहना मानो ऐसा लगा के एग्जाम में टाइमआउट के बाद एक प्रश्न थोड़ा हुआ तब तक टीचर का आकर कॉपी छीन लेना)

और तभी तुरंत ही तिराहे के पास खड़ा उसका भाई बिल्कुल ऑटो के गेट के पास आ गया, जल्दी उतरो, देर हो रही है ।

उसने एक नज़र देखा, परेशान सी नज़रों से, अधूरी मुहब्बत समेटे हुए नज़रों से, मानों कह रही हो, हम फिर जरूर मिलेंगे .....

और वो बैठ के चली जाती है ---

वो आख़िरी पल, दिल की धड़कन रोकने के लिए काफी थे ।

नाइन फोर फाइव वन ..........

उफ्फ्फ्फ्फ़ ......उस वक़्त स्क्रीन पर ये चार डिजिट देख कर मैं पत्थर का हो चुका था, दिल की धड़कन साफ़ सुनाई दे रही थी।

मैं बिल्कुल हताश था, अभी क्या हुआ था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।

उसके बाद कौन सा गाना बजा ....मुझे ख्याल तक नहीं।

उतरो भाई, कि यहीं सोने का इरादा है, ड्राइवर की तेज़ आवाज़ सुनकर मैं होश में आया। क्या भाई, चौथी बार बुलाया हूँ तब सुने हो। अरे भाई वो थोड़ी आँख लग गई थी, पैसे देकर मैं आगे बढ़ गया। क़िस्मत को भी खिलवाड़ करने का बहुत शौक होता है, ये मुझे आज पता चला था।

ये बात आज पता चली थी की क़िस्मत हमारी नहीं होती बल्कि हम क़िस्मत के होते हैं उसे जो अच्छा लगेगा वही हमें देगी और शायद क़िस्मत को भी कुछ मनोरंजन चहिए होता हो, चाहे जैसे, खिलौने से खेलकर या फिर किसी के दिल से।

हाँ, एक नज़र में भी प्यार होता है।

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