किसान और बारिश Vibhav Saxena
किसान और बारिश
किसान और बारिश के संबंध को दर्शाती हुई कहानी
जब हम घर से बाहर निकलने की सोचते भी नहीं हैं, उस मई-जून की तपती दोपहरी में भी किसान अपने खेतों में काम करते दिख जाते हैं। गेहूँ की फसल काटने के बाद अब उन्होंने गन्ने और धान की फसल उगाने की तैयारी कर ली है। गर्मी के बीच में हल्की-फुल्की बूंदाबांदी कुछ राहत दे रही है लेकिन उन्हें तो बारिश के मौसम का इंतजार है जो न केवल गर्मी से राहत दिलाएगा बल्कि फसल के लिए भी अमृत सिद्ध होगा।
अब बारिश का मौसम आ चुका है। झमाझम बारिश ने सबको रोमांचित कर दिया है। न केवल इंसान बल्कि प्रकृति भी इस बारिश से खुद को तृप्त महसूस कर रही है। किसान भी बहुत खुश हैं। खास तौर पर जागन क्योंकि वह एक गरीब किसान है। अब उसे धरती के भीतर से पानी नहीं खींचना पड़ेगा। पंप लगाने और डीजल का खर्च भी बचेगा। यह सब उसे उधार लेकर ही तो करना था। सबसे बड़ी बात तो यह है कि जमीन का जल भी कम नहीं पड़ेगा। आखिर धरती भी तो हमारी माँ है और अगर उसकी सब ताकत खींच ली तो सब बंजर हो जाएगा। यह सब सोचते हुए जागन ऊपर वाले को धन्यवाद दे रहा है।
बारिश की रफ्तार अब तेज हो चुकी है। इस बीच किसानों के अलावा कोई भी बिना खास काम के बाहर नहीं निकल रहा है। अमीर लोग अपनी कारों में बैठकर बारिश का मजा ले रहे हैं और जागन अपने खेतों में धान लगा रहा है। जागन जैसे और किसान भी खेतों में लगे हैं। जो बड़े किसान हैं वो नौकरों और मजदूरों से खेतों में काम करवा रहे हैं। लगभग हर किसान पानी से पूरी तरह भीग चुका है और कपड़ों पर मिट्टी ही मिट्टी चिपक गई है। सबके हाथ पैरों में मिट्टी ही दिख रही है। किसान उस मिट्टी में सराबोर होकर भी खुश है।
बारिश के बीच उसे अपने बीमार होने की फिक्र नहीं है लेकिन अपने पालतू पशुओं को बचाने के लिए हर प्रयास कर रहा है। चूल्हे पर खाना बन सके इसके लिए सूखी लकड़ियाँ अलग से बचाकर रख ली हैं। जागन की पत्नी झोपड़ीनुमा टपकते हुए घर में खाना बना रही है। बच्चे टकटकी लगाकर बैठे हैं और खाना पकने का इंतजार कर रहे हैं। जागन भी चूल्हे के पास आकर बैठ गया है। फिर कुछ सोचकर वह उठा और बोरों, पन्नी और फटे हुए तिरपाल की मदद से पानी को टपकने से रोकने की कोशिश कर रहा है। इतनी तकलीफ के बाद भी उसे बारिश से कोई शिकायत नहीं है।
आज बारिश होते-होते एक हफ्ता बीत गया है। तेज बारिश से फसल चौपट होने की आशंका है। जागन अब बारिश रुकने की गुहार लगा रहा है। वह ऊपर देखकर कह रहा है कि अब तो रुक जाओ। उतना ही बरसो जब तक फसल खराब न हो। बिना बारिश भी फसल नहीं हो सकती और ज्यादा बारिश भी नुकसान कर सकती है। सो जागन चाहता है कि बारिश किसानों की जरूरत के अनुसार ही हो। बस यही है किसान की बारिश की कहानी।