छोटी सोच किसकी  Vibhav Saxena

छोटी सोच किसकी

एक नवयुवक की एक स्त्री के जीवन में खुशियाँ लाने की उम्दा सोच की कहानी

आज मनुज की शादी हो रही है। वैसे तो ये बड़ी खुशी की बात है लेकिन मुझे कोई भी खुश नहीं लगा। ऐसा लगता है कि सब केवल दिखावे के लिए ही खुद को खुश दिखा रहे हैं। मुझे ये देखकर अजीब सा लग रहा है क्योंकि एक वक़्त से सबको उसकी शादी का इंतजार था। उसकी शादी की ख़बर खुशी के साथ ही आश्चर्य की बात भी है क्योंकि उसने तय कर लिया था कि वह शादी नहीं करेगा। कारण कोई खास नहीं था, बस अपने जीवन में उसने इतने रिश्तों को बनते-बिगड़ते देखा था कि उसे रिश्ते में बँधने के नाम से भी तकलीफ़ सी होने लगी थी।

मैं ठीक समय पर शादी में शामिल होने के लिए आ गया था लेकिन बारात निकलने से लेकर मैरिज हॉल पहुँचने तक कोई खास उत्साह नहीं दिख रहा था। किसी से पूछने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी। एक अजीब सा माहौल था। अब मुझे यहाँ रुकना मुश्किल लग रहा है। सोच रहा हूँ कि जयमाल का कार्यक्रम होते ही निकल जाऊँगा।

तब तक खाना भी शुरू हो गया था। सुबह से घर से चल दिया था। अब भूख भी लग रही थी। सोचा खाना ही खा लेता हूँ। मैंने प्लेट में खाना ले लिया था। तभी पीछे से किसी ने आवाज़ दी। मुड़कर देखा तो अमित था। बहुत दिनों बाद हम मिल रहे थे। एक दूसरे का हाल-चाल और परिवार के सदस्यों के बारे में बातचीत हुई। इस सबके बीच मैंने मनुज की शादी के माहौल को लेकर भी सवाल पूछ लिया।

अमित ने जो बताया वो अजीब तो था लेकिन ये सुनकर मुझे खुशी हुई। दरअसल मनुज एक तलाकशुदा लड़की से शादी कर रहा था और इसलिए उसके घरवालों के चेहरों पर खुशी नहीं थी। वो लड़की मनुज के साथ ही नौकरी करती थी और उसकी अच्छी दोस्त भी थी। पति और ससुराल वाले आए दिन उसे परेशान करते थे। उसके मायके की हालत भी ठीक नहीं थी। इसलिए बेचारी सब कुछ सहती रही। वो माँ बन गई लेकिन उसकी परेशानी कम न हुई। अब लड़की पैदा होने के ताने सुनने पड़ते थे।

कुछ दिनों बाद उसे घर से बाहर निकाल दिया गया। अब उसके लिए झेलना नामुमकिन हो गया था, वो लड़की को लेकर खुदकुशी करने चल पड़ी। इत्तेफ़ाक से मनुज को ये सब पता चल गया और उसने अपनी जान की परवाह न करके दोनों को बचा लिया। वो घंटों मनुज से लिपटकर रोती रही। फिर उसने मनुज से पूछा, "तुमने हमें क्यों बचाया? क्या रखा है ऐसे जीने में और जिएँ भी तो क्यों और किसके सहारे?" मनुज ने उसे बहुत समझाया और उसका हाथ थामने का वादा किया।

कुछ दिनों बाद उस लड़की का तलाक हो गया और आज वो मनुज की जीवन संगिनी बन रही है। अमित ने यह भी बताया कि मनुज उसे अपनी अच्छी दोस्त ही मानता है और उसने यह शादी दोस्ती और इंसानियत का फर्ज निभाने के लिए की है।

यह सब सुनकर आँखें भर आयीं। वो मनुज जिसे हम लोग अक्सर बेवक़ूफ़ और निकम्मा कह देते थे, आज उसका कद बहुत ऊँचा हो गया था। उसने जो भी किया सब के बस की बात नहीं है। किसी तलाकशुदा से शादी और उसकी बच्ची को भी अपनाना, ये काम कोई बड़े दिल वाला ही कर सकता है। भले ही शादी में शामिल कुछ लोग उसे छोटी सोच वाला कह रहे थे लेकिन मुझे लगता है कि वही लोग छोटी सोच वाले हैं। काश हर कोई मनुज की तरह सोचे तो कोई ठुकराई हुई औरत बेसहारा ना हो।

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