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हमारा परिचय
'मातृभाषा', हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। 'फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन, रिसर्च एंड ट्रेनिंग' द्वारा पोषित 'मातृभाषा' वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। 'मातृभाषा' प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
युवा साहित्यकारों के प्रोत्साहन और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने का कार्य 'मातृभाषा' द्वारा सतत क्रियाशील है। 'मातृभाषा' हिंदी भाषा के सुप्रसिद्ध साहित्यकारों व विद्वानों द्वारा लिखे साहित्य से हिंदी भाषा को प्रतिक्षण सिंचित कर वट वृक्ष की ओर अग्रसर करने को प्रयत्नशील है।
'मातृभाषा' हिंदी साहित्य के छात्रों, शिक्षकों एवं जिज्ञासु सुधी जनों को एक ही मंच पर हिंदी व्याकरण के साथ साहित्य की सभी विधाओं से परिचित कराने का एक सुलभ साधन है।
सुप्रसिद्ध साहित्यकारों की कालजयी रचनाओं के साथ उनके जीवन परिचय, लेखन युग और लेखन शैली से सुधी पाठकों को अवगत कराने की कोशिश 'मातृभाषा' परिवार द्वारा अनवरत प्रगतिशील है।
'मातृभाषा' नवीन एवं पुरातन साहित्य का एक अद्भुत संगम है जिससे आने वाली पीढ़ियां लाभान्वित होंगी।
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युगमंच की रचनाएँ
कालजयी कवि
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
भारतेंदु हरिश्चन्द्रजिस देश को अपनी भाषा और साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है , वह उन्नत नहीं हो सकता ।
डॉ राजेंद्र प्रसादहिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।
डॉ राजेंद्र प्रसादराष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है।
महात्मा गांधीहिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है।
कमलापति त्रिपाठीहिंदी हमारे राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है।
सुमित्रानंदन पंतराष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है।
महात्मा गांधीकालजयी रचनाएँ
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